----------ग़ज़ल---------
यूँ किस्मत को अब आजमाना नहीं है,
कि इस इश्क़ की राह जाना नहीं है।..
गुजारे भले जिंदगी हम अकेले,
ये दिल पर किसी से लगाना नहीं है,
तुम्हें जो महज अपनी जागीर समझे,
वो पागल है कोई दिवाना नहीं है।..
जो मैने सुनाया है ग़ज़लो मे अपनी
हकीकत है कोई , फ़साना नहीं है।..
के 'सबरीन'है इश्क़ की ये जो बातें
सरेआम सबको बताना नहीं है।..
सबरीन निजाम
युवा कवयित्री एवं शायरा
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश